और फिर साधू के कहने पर किसान और उसकी पत्नी ने मिलकर भोजन तैयार किये जिसके बाद वे राहगीर चलते हुए लोगो को बुलाने लगे और भगवान के प्रसाद के रूप में भोजन करने का आग्रह करने लगे फिर जो भी उधर से गुजरता गरीब किसान उन्हें भरपेट भोजन कराते जिससे राहगीर काफी खुश होते और फिर उन्हें इस नेक कार्य के लिए ढेर सारा आशीर्वाद और अपनी इच्छानुसार धन भी देते जिससे वे फिर से मिले इन पैसो से लोगो को भोजन कराये,
नतीजा यह हुआ कि साल भर की मेहनत से वह परीक्षा में सफल ही नहीं बल्कि उसने विद्यालय में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उसके माता-पिता को बहुत खुशी हुई है और उन्होंने श्याम को गले से लगाया और शाबाशी दी।
शिक्षा –जीवन में सच्चे मित्र का महत्व बहुत है।
परीक्षा हुई जिसमें श्याम और उसके दोस्त सफल नहीं हो पाए वह फेल हो गए।
नमस्कार दोस्तों, आज के इस ब्लॉगपोस्ट में हम बात करेंगे मुंशी प्रेमचंद...
बुद्धि का प्रयोग समय पर करना चाहिए इससे भविष्य की रचना होती है अन्यथा मृत्यु।
उसने सोचा कि मैं ने उस बीमार इंसान के रूप में भगवान की मदद करी थी, जिससे भगवान ने उससे प्रसन्न होकर यह धन उसको दिया।
व्यक्ति को कभी हताश नहीं होना चाहिए परिस्थितिया विपरीत क्यों न हो उसको अपने अनुकूल बनाना चाहिए। जब परिस्थितियां अनुकूल नहीं होती तभी व्यक्ति अपने आप को निकाल सकता है।
साधू की यह बात को सुनकर किसान को अब समझ में आ गया था अगर सच में जीवन में अमीर बनना है तो सबसे पहले हमे अपनी सोच बदलनी होगी अपने लिए तो हर कोई जीता है यदि हम दुसरो के लिए जीना शुरू करते है तो ईश्वर भी हमारी सहायता जरुर करते है
एक दिन गांव में अकाल पड़ गया। बारिश नहीं हो रही थी और जमीन भी जल्दी सूख गई थी। सभी किसानों को अपनी फसल के लिए चिंता होने लगी, लेकिन रामचरण डरने वाले नहीं थे। वह जानता था कि मेहनत से किया हुआ काम कभी बेकार नहीं होता।
शिक्षा – आपके उत्तर में सही स्पष्टीकरण होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सही उत्तर का होना
मोहन के पास ज्यादा जमीन नहीं थी लेकिन जितनी भी थी उसमें वह बड़ी मेहनत करता और अपने परिवार का पेट पालने लायक अनाज उगा लेता था। बाकी के किसान भी यह देखकर हैरान रह जाते कि कोई कैसे इतनी सी जमीन में इतना ज्यादा फसल उगा सकता है।
यह कहानी है एक गरीब और ईमानदार किसान की जो गरीब होने के साथ साथ ईमानदार और दयावान भी था। रामनगर नाम के गांव में महेश नाम का एक बहुत ही गरीब किसान रहता था। वह गरीब होने के बाद भी अपने परिवार की देखभाल अच्छे तरह से कर लेता था।
एक बंदर रोज एक आदमी के घर आता था और दंगा करता था । कभी कपड़े फाड़ देता, कभी बर्तन ढोता, कभी बच्चों को पीटता। उसने read more खाने-पीने की चीजें भी ले लीं, लेकिन उसके परिवार को कोई शिकायत नहीं थी। लेकिन वे बंदरों से त्रस्त थे।